महात्मा गांधी एक ऐसा महान व्यक्ति जो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व के लिए एक मिसाल है । राजीव दिक्षित स्वदेशी आंदोलन के प्रेणता एवम प्रखर वक्ता ने कहा था मुझे नहीं लगता कि दुनिया के पांच सौ वर्ष के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति है जिससे गांधी के महान व्यक्तित्व एवम महान विचारधारा की तुलना की जा सके. गांधी सिर्फ एक महान व्यक्ति नहीं बल्कि गांधी एक ऐसी विचारधारा है जो किसी गोडसे की गोली से नहीं मर सकती।गांधी का मतलब अहिंसा की प्रतिमूर्ति गांधी का मतलब सत्य , निष्ठा , स्वाभिमान, गांधी का मतलब मर्यादा , आदर्श , ईमानदारी । गांधी हममें भी हैं गांधी आपमें भी हैं सिर्फ गांधीवादी विचारधारा को जागृत करने की जरूरत है । गांधीवादी विचारधारा वो है जो उस समय के दुनिया के दो तिहाई भाग पर राज करने वाले जार्ज पंचम से आंख में आंख डालकर स्वाभिमान से उसके पूछे जाने पर कि आपके कपड़े कहां है ? यह जबाब दे सके कि महाराज मेरे देश के तो सारे कपड़े आप चुरा कर पहन लिए है। गांधी जिसको हंसी उड़ाते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने अर्धनग्न फ़कीर कहा था लेकिन उस अभिमानी को क्या पता था उसी के पार्लियामेंट में उसके स्टेच्यू के बगल में उस अर्धनग्न फकीर की प्रतिमा लगी होगी और पूरी दुनिया उस प्रतिमा के आगे सर झुकाएगी । एक कवि ने बड़ी सुंदर पंक्ति कही हैं, “मन में थी अहिंसा की लगन,तन पे लंगोटी लाखों में घूमता था, लिए सत्य की सोटी वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी,लेकिन तेरे आगे झुकती थी हिमालय की भी चोटी । गांधीवादी विचारधारा वो है जो ट्रेन से धक्का देकर निकाले जाने पर यह निर्णय ले सके उसकी जमीर जग सके कि तुमने मुझे ट्रेन से निकाला है मैं तुम्हे अपने देश से निकाल दूंगा । मनोज मुंतशिर की यह पंक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है राजघाट की भूमि से बोले एक फकीर तेरी हस्ती उतनी ही जितनी तेरी ज़मीर । गांधीवादी विचारधारा वो विचार है जो दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन जिनके दिमाग पर दुनिया सर्च करती है उनके दिमाग को यह विचार प्रभावित कर देती है और यह बोलने पर मजबूर कर देती है कि भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी की हाड़- मांस से बना कोई व्यक्ति भी धरती पर आया था । गांधी जिसने असहयोग आंदोलन शुरू किया और पूरे देश को एकता के सूत्र में बांध दिया गांधीवादी विचारधारा वो है जो यह सोच सके की आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी । मैं मरने को तैयार हूं लेकिन कोई ऐसी वजह नहीं जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूं क्या अहिंसावादी नीति थी बापू की ! ऐसा महान व्यक्तित्व जिसपे कितने लोग पीएचडी किए कितने लोग कर रहे है कितने महान लोग मार्टिन लूथर किंग , टैगोर , सुभाष चंद्र बोस , बराक ओबामा , सत्य नाडेला इनसे प्रभावित हुए ऐसे व्यक्ति को आजकल के फेसबुक यूनिवर्सिटी, व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के पढ़े युवा मजबूरी का नाम महात्मा गांधी बतलाते है मजबूरी नहीं गर्व से बोलो मजबूती का नाम महात्मा गांधी है । गांधी को जिंदा रखना है तो उनके विचारों को जिंदा रखने की जरूरत है जिस दिन हम हवाई चप्पल पहन कर सूट – बूट वालों के सामने आंख में आंख मिलाकर अपने हक की बात कर सके बाबुओं के दफ्तर में फाइल के नीचे नोट को रखना छोड़ देंगे हिंसा के बदले हिंसा को न चुनकर अहिंसा को चुनेंगे धर्म के नाम पर जात के नाम पर राजस्थान के किसी पहलू खान और उदयपुर के कन्हैया लाल को नहीं मारेंगे । जिस दिन महिलाएं रात में बेफिक्र चलने लगे और कश्मीर की क्यारियों में बम की बारूद की जगह केसर की फूल सुगंधित होने लगे बंगाल में सही रूप में मां- माटी- मानुष जैसी बात हो , प्रयागराज में गंगा यमुनी तहज़ीब हो दिल – दिल से मिलने लगे, धर्म की कोई दीवार न हो और उतर- दक्षिण के जो चंद भर लोग है , जो भाषा के आधार पर वैमनस्य फैलाते है वो भाषा नहीं हमारी भावना से जुड़ जाए तो गांधी का विचार जागृत हो ।
लेखक~ अंकित तिवारी , एम जे एम सी